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Akbar Aur Birbal Motivational Story

अकबर और बीरबल

Akbar aur birbal story in hindi
Akbar aur birbal

Akbar Aur Birbal Motivational Story


हैलो दोस्तो मैं आज आपको अकबर और  बीरबल की कहानी बताने वाली हु जिससे आपके सोच में बोहत ज्यादा परिवर्तन हो सकता हैं.
तो शुरू करते है Akbar Aur Birbal Motivational Story.
बादशाह अकबर अपने न्‍याय के लिए जाने जाते हैं तो बीरबल महान बुद्धिमत्‍ता के लिए। बीरबल, बादशाह अकबर के दरबार में नौ सबसे बुद्धिमान व्‍यक्तियों में से एक थे और सभी से ज्‍यादा बुद्धिमान थे इसलिए बादशाह अकबर को जब भी कभी किसी जटिल समस्‍या को सुलझाना होता था, तो वे बीरबल की ही सलाह मानते थे और सामान्‍यत: बीरबल न केवल उपयुक्‍त सलाह देते थे बल्कि ये भी साबित करते थे कि उनकी सलाह क्‍यों सही है और इस कहानी में आपको बीरबल की बुद्धिमत्‍ता का ही एक परिचय मिलेगा।

एक समय की बात है, बादशाह अकबर की बेगम साहिबा, अकबर से रूठ गईं। जब बादशाह अकबर ने कारण जानना चाहा, तो बेगम साहिबा ने कहा कि-

आलम पनाह… आप कोई भी मामला होता है तो उसे सुलझाने के लिए बीरबल से ही कहते हैं… मेरे भाई यानी आपके साले साहब को तो कभी कोई भी मामला सुलझाने के लिए कहते ही नहीं है… वो भी बीरबल से कोई कम बुद्धिमान तो नहीं हैं… आप अपने साले साहब के साथ इतना गलत व्‍यवहार क्‍यों करते हैं… आपके ऐसा करने की वजह से मेरे भाई को भरे दरबार में हमेंशा नीचा देखना पडता है…
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बादशाह अकबर समझ गए कि रानी साहिबा साले साहब की बात को लेकर बहुत ज्‍यादा नाराज हैं, इसलिए परिस्थिति को सम्‍भालते हुए उन्‍होंने कहा-

ठीक है… आप नाराज न हों… आज के बाद राज दरबार में कोई भी मामला आएगा, तो सुलझाने का मौका सबसे पहले साले साहब को ही दिया जाएगा।

ये बात सुनकर बेगम साहिबा बहुत खुश हुईंं लेकिन बादशाह अकबर के लिए समस्‍या खडी हो गई क्‍योंकि साले साहब केवल नाम के ही बुद्धिमान थे। सो बादशाह अकबर सोचने लगे कि साले साहब को कौनसा काम करने के लिए कहा जाए जिससे बेगम साहिबा के सामने उनकी बुद्धिमानी की परीक्षा हो। तभी उनकी नजर महल में रखे खजाने की पर पडी और उन्‍हे साले साहब के लिए काम समझ में आ गया।

बादशाह अकबर ने अपने दरबार में एक सभा आयोजित की और अपने साले साहब से कहा कि-

बेगम साहिबा का कहना है कि हम आपको कोई ऐसा काम नहीं देते, जिससे अापकी बुद्धि का उपयोग हो और राज दरबार को कोई फायदा हो… इसलिए आज हम आपको ही एक काम देना चाहते हैं। क्‍या आप करना पसन्‍द करेंगे?

साले साहब का सीना गर्व से फूल गया। उन्‍होंने खडे होकर जवाब दिया- जी हुजूर… अपनी बुद्धिमत्‍ता का परिचय देने में मुझे भी बहुत खुशी होगी। हुक्‍म फरमाईए, क्‍या करना है मुझे …

बादशाह अकबर ने कहा- राज्‍य का खजाना खाली हो गया है और हम चाहते हैं कि आप उसे आज शाम तक पूरी तरह से भर दें।

इतना कहकर बादशाह अकबर सभा को वहीं विराम देते हुए राज दरबार से चले जाते हैं साथ ही दरबार के अन्‍य सभी लोग भी अपने-अपने काम के लिए चल देते हैं।

चूंकि, बेगम साहिबा को किए गए वादे के अनुसार बादशाह अकबर ने अपने साले साहब को काम दे दिया था और इस बात से साले साहब की बहन बेगम साहिबा भी बहुत खुश थीं लेकिन अब साले साहब इस बात से परेशान थे कि केवल शाम तक के समय में राज्‍य का पूरा खजाना कैसे भरा जा सकता है। फिर उन्‍हें याद आया कि वे बादशाह अकबर के साले साहब हैं और पूरे राज्‍य में उन्‍हें खजाना भरने हेतु जरूरी धन देने से मना कर ही नहीं सकता। तो, साले साहब ने अपने साथ दो सिपाईयों को लिया और राज्‍य के सभी लाेगों को डरा-धमकाकर, मारकर, लडाई-झगडा करके, जैसे भी हो सकता वैसे खजाने के लिए धन इकठ्ठा करने लगा।

आखिर पूरा दिन बीत गया और शाम का समय हुआ। साले साहब बादशाह अकबर के सामने उपस्थित हुए जहां बेगम साहिबा, बादशाह अकबर और बीरबल तीनों बैठे थे । साले साहब को देखते ही बादशाह अकबर ने पूछा- साले साहब… क्‍या आपने राज्‍य का खजाना पूरी तरह से भर दिया?

साले साहब कुछ न बोले लेकिन साले साहब की उतरी हुई शक्‍ल देखकर बेगम साहिबा समझ गईं कि साले साहब अपना काम ठीक से पूरा नहीं कर पाए हैं, तो साले साहब से पहले बेगम साहिबा बोल उठीं कि-

आपने जानबूझकर मेरे भाई को नीचा दिखाने के लिए ही उसे ऐसा काम दिया जो कि वह पूरा न कर सके। भला कौन सा व्‍यक्ति एक दिन में पूरा खजाना भर सकता है? यदि यही बात है तो यही काम आप बीरबल को दीजिए और यदि बीरबल भी ये काम न कर सकें, तो इन्‍हें राज दरबार के सबसे बुद्धिमान मंत्री के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।


बेगम साहिबा की बात सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा-

बीरबल… हम चाहते हैं कि जो काम साले साहब को दिया गया था, वही काम आप करें और कल शाम तक राज्‍य के खजाने को पूरी तरह से भर दें और यदि आप ऐसा न कर सकें, तो मजबूरन हमें आपको मंत्री पद से हटाना होगा।

बीरबल ने कहा- जो हुक्‍म आलम पनाह… मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा बल्कि शाम से पहले ही राज्‍य का खजाना पूरी तरह से भर दूंगा।

इतना कहकर बीरबल, बादशाह अकबर से आज्ञा लेकर राजा के महल से अपने घर चले आए।

अब दूसरे दिन बीरबल अपने साथ एक 15-20 फीट की एक रस्‍सी  तथा दो सिपाही लेकर एक बस्‍ती में गए और एक दुकान पर पहुंच कर उसका माप लेना शुरू कर दिया।

इतने में दुकान का मालिक आया और बीरबल से पूछा- दाता बीरबल… आप ये सुबह-सुबह मेरी दुकान का माप क्‍यों ले रहे हैं?

बीरबल प्रत्‍युत्‍तर में कहा कि-

आपकी यह दुकान अतिक्रमण में है क्‍योंकि राज्‍य सरकार के कागजी दस्‍तावेजो के अनुसार आपकी ये दुकान राजदरबार के सडक बनाने की जगह पर आ रही है और कुछ ही दिन में यहाँ सडक बनने वाली है इसलिए इस दुकान को ताेडना पडेगा।

बीरबल की बात सुन कर दुकान का मालिक एक दम से घबरा गया। उसने कहा- ऐसा मत करो… अन्‍यथा मैं अपना और अपने परिवार का पेट पालन कैसे करूंगा?

बीरबल ने जवाब दिया- ये सब मुझे नहीं पता लेकिन सडक तो यहीं से बनेगी और मुझे अफसोस है कि तुम्‍हारी दुकान अतिक्रमण में होने की वजह से तोडनी पडेगी।

दुकानदान ने हाथ जोडकर कहा- दाता बीरबल… यदि मेरी दुकान अतिक्रमण में आती है, तो जो जुर्माना हो, आप मुझसे ले लो, लेकिन सडक यहाँ से मत बनवाओं।

बीरबल तो चाहता ही यही था कि दुकानदार स्‍वयं ही धन देने के लिए तैयार हो जाए, ताकि राज का खजाना भरा जा सके, लेकिन केवल एक दुकानदार के दिए गए धन से तो राज्‍य का खजाना भरना नहीं था, इसलिए उसने दुकानदार से कहा-

ठीक है… मैं तुम्‍हारी दुकान छोड भी दूं जिसके लिए तुम खजाने में जुर्माना भी भर दोगे, लेकिन क्‍या अन्‍य दुकान वाले भी जुर्माना भरेंगे और अगर वे जुर्माना नहीं भरते, तो फिर मुझे उनकी दुकानों के साथ तुम्‍हारी दुकान भी तोडनी ही पडेगी।

ये बात सुनकर दुकानदार ने कहा कि- मैं जिम्‍मेदारी लेता हुं कि शाम तक हम सभी दुकानदार अपना जुर्माना राज्‍य के खजाने में जमा करवा देंगे और जो दुकानदार जुर्माना नहीं देगा, उसका जुर्माना मैं स्‍वयं भरूंगा।

बीरबल ने कहा- ठीक है, लेकिन ध्‍यान रहे, शाम न होने पाए अन्‍यथा शाम को ही सभी दुकानें तोड दी जाऐंगी।

इतना कहकर बीरबल उस गांव से दूसरे गांव की ओर बढ गया और सभी जगह उसने यही बातें कही और सभी जगह किसी न किसी दुकानदार ने इस बात की जिम्‍मेदारी ली कि वह स्‍वयं अतिक्रमण के बीच आने वाली सभी अन्‍य दुकानों का जुर्माना शाम होने से पहले राज्‍य में जमा करवा देगा। देखते ही देखते शाम से पहले ही राज्‍य का खजाना पूरी तरह से भर गया बल्कि इतना धन आया, जिसे रखने के लिए महल में जगह कम पडने लगी।

शाम होते-होते बीरबल फिर से राजा के महल पहुंचते हैं लेकिन बादशाह अकबर उनसे कोई सवाल नहीं करते क्‍योंकि सारा महल खजाने से भरें होने की वजह से महल में कदम रखने की जगह भी नहीं होती और बादशाह अकबर अपनी बेगम व साले साहब के साथ महल के बाहर खडे होते हैं। बीरबल को आता देख बादशाह अकबर हल्‍की सी मुस्‍कान के साथ बेगम साहिबा की ओर देखते हैं, बेगम साहिबा गुस्‍से से अपने भाई की ओर देखती हैं और भाई साहब शर्म के मारे जमींन की ओर देखने लगते हैं क्‍योंकि बेगम साहिबा और साले साहब, दोनों ही समझ चुके होते हैं कि सचमुच में कौन बुद्धिमान है और बादशाह अकबर बीरबल पर ही अपनी समस्‍याओं के समाधान के लिए इतना भरोसा क्‍यों करते हैं।

Akbar Aur Birbal Motivational Story इस कहानी से हमे यह शिक्षा प्राप्त होती है कि हमेशा जोरजबरदस्ती से काम नही होता बल्कि बुद्धिमत्ता से भी काम और आसान हो जाता है.हम आशा करते है की आपको हमारी Akbar Aur Birbal Motivational Story यह कहानी बोहत अच्छी लगी हो.
धन्यवाद.


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